भारतीय क्रिकेट टीम के अनुभवी स्पिनर रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) अपने करियर और निजी जीवन में डिफेंसिव रवैया अपनाने से परहेज करते हैं। 37 वर्षीय अश्विन का मानना है कि वह अति सुरक्षात्मक रहने की बजाय असफल होना पसंद करेंगे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे चतुर दिमाग वाले खिलाड़ियों में शुमार अश्विन की बातों को क्रिकेट जगत में खासा तवज्जो दी जाती है।
किताब ‘आई हैव द स्ट्रीट्स’ से झलकता है अश्विन का दिमाग
इन दिनों अश्विन अपनी आत्मकथा ‘आई हैव द स्ट्रीट्स: ए कुट्टी क्रिकेट स्टोरी’ की सफलता का आनंद ले रहे हैं। यह किताब 2011 तक उनके जीवन का विवरण देती है और उनकी सोच की एक झलक पेश करती है। अश्विन ने कहा, “मैं अपनी जिंदगी जी रहा हूं, बस यही है।
मैं किसी लक्ष्य को पूरा करने के बारे में नहीं सोचता। मैं वर्तमान में जीना पसंद करता हूं। अगर मुझे लगता है कि मुझे कुछ करना है, तो मैं आगे बढ़कर करता हूं, चाहे वह सही हो या गलत।
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बचपन की असुरक्षा से उबरकर बने निडर
हालांकि, अश्विन हमेशा से इतने बेखौफ नहीं थे। बचपन में उनके अंदर असुरक्षा की भावना थी, लेकिन धीरे-धीरे वह इससे उबरने में कामयाब रहे। उन्हें एहसास हुआ कि उनका डर उन्हें पंगु बना रहा था।
इससे निपटने के बाद वह कुछ हद तक अडिग हो गए और यह एक क्रिकेटर के तौर पर उनके विकास में मददगार साबित हुआ। अश्विन ने कहा, “मैं पूरी तरह सुरक्षित रहने के बजाय जीवन में असफल होना पसंद करूंगा। यही मेरा स्वभाव है।
आलोचनाओं का जवाब विकेट लेकर देते हैं अश्विन
अश्विन ने अपनी आलोचनाओं को गंभीरता से लिया है और ढेर सारे विकेट लेकर इसका जवाब दिया है। हालांकि, उन्होंने ‘बाहरी शोर’ को अपने दिमाग पर हावी नहीं होने दिया। उनके अंदर का इंजीनियर उन्हें जोखिम लेने और विफलता से निडर रहने की प्रेरणा देता है। वह इन बातों को उसी स्पष्टता से कहते हैं, जिस तरह वह जटिल क्रिकेट नियमों को समझाते हैं।
लॉकडाउन ने बदली सोच, शुरू किया यूट्यूब चैनल
कोविड-19 महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन ने अश्विन की सोच को नए सिरे से बदलने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने महसूस किया कि जो वह चाहते हैं, उसके लिए उनके पास सिर्फ एक मौका है।
इसी दौरान उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया, जिसके अब 15 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। उनका मानना है कि यह सब निडर होने और जोखिमों के मजेदार पहलू को देखने की क्षमता पर निर्भर करता है।
अश्विन का जीवन दर्शन उनके क्रिकेट करियर में भी साफ झलकता है। 516 टेस्ट विकेट लेने वाले इस स्पिनर ने हमेशा अपने करियर में नई चुनौतियों को स्वीकार किया है और उन पर खरा उतरने की कोशिश की है। उनका मानना है कि डिफेंसिव रवैया अपनाने से बेहतर है कि वह हार का सामना करें, लेकिन कोशिश करना न छोड़ें।