नाम… मोहम्मद सिराज..! मैन ऑफ द सीरीज। साउथ अफ्रीका के खिलाफ 3 वनडे मुकाबलों में 20.80 की एवरेज से 5 विकेट। इकोनॉमी सिर्फ 4.52 की…! 12 साल बाद घरेलू सीरीज में साउथ अफ्रीका पर 2-1 से जीत। एक वक्त पर जसप्रीत बुमराह के बाद भारत का सबसे बड़ा यॉर्कर स्पेशलिस्ट। फिर अचानक टीम इंडिया से बाहर कर दिया गया। मजबूरी में इंग्लैंड जाकर काउंटी क्रिकेट खेला और वहां भी धमाकेदार प्रदर्शन। वारविकशायर की तरफ से खेलते हुए पहले मैच की पहली पारी में ही 5 विकेट।
फैंस को समझ आ गया था कि सिराज में आज भी तेज गेंदबाजी को लेकर वही जज्बा है! अब सिर्फ मौके का इंतजार था…। जिस दौर में भारतीय तेज गेंदबाज आईपीएल में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन हिंदुस्तान के लिए खेलने से पहले चोटिल हो जाते हैं, उस वक्त देश के लिए जी-जान लगाकर खेलने वाला गेंदबाज है सिराज। उसको अंदाजा था कि अगर इस वनडे सीरीज में बढ़िया प्रदर्शन नहीं किया तो शायद आने वाले वक्त में इंडियन टीम में वापसी संभव नहीं हो पाएगी।
कहते हैं कि जब मौका बड़ा होता है, तो दिलेर सीना ठोक कर खड़ा होता है। सामने साउथ अफ्रीका की मजबूत टीम थी और इंडियन पेस अटैक को लीड करने की जिम्मेदारी सिराज के कंधों पर थी। लखनऊ के पहले मुकाबले में प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा। 8 ओवर्स में बगैर कोई विकेट लिए 49 रन…! बिल में छुपे आलोचक बाहर निकल चुके थे और सिराज के चयन पर सवाल उठाए जाने लगे थे।
रांची में हिंदुस्तान 8 साल से कोई वनडे मुकाबला नहीं जीत सका था और अगर अबकी बार हार जाता तो सीरीज हाथ से निकल जाती। साउथ अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और मैच के तीसरे ओवर की पहली गेंद। सिराज ने वाइड आउटसाइड ऑफ फुल लेंथ बॉल डाली। डीकॉक स्क्वायर ड्राइव खेलना चाहते थे लेकिन गेंद मिडिल ऑफ द बैट पर लगी नहीं। थिक इंसाइड एज विकेट पर और डीकॉक 5 रन बनाकर वापस पवेलियन की ओर। जश्न के मारे 5 फीट तो आसानी से हवा में कूद गए थे सिराज…! उनके उत्साह को देखकर खुशियों से सराबोर हो गया था समूचा हिंदुस्तान।
हेंड्रिक्स ने पहले मुकाबले में अच्छी बल्लेबाजी की थी और दूसरे मैच में भी अर्धशतक बनाकर खेल रहे थे। कप्तान शिखर को सिराज की याद आई। 32वें ओवर की दूसरी गेंद सिराज ने ऑफ स्टंप पर गुड लेंथ रखी। हेंड्रिक्स सीधा स्क्वायर लेग पर तैनात शाहबाज अहमद के हाथ में शॉर्ट आर्म जैब खेल बैठे और उनकी 74 रनों की पारी का अंत हो गया। सिराज ने साबित कर दिखाया कि भले ही मुकाबला किसी भी सिचुएशन में हो, वह टीम को विकेट दिलाने की क्षमता रखते हैं।